Digital India हम नहीं सुधरेंगे, न कुछ सुधरने देंगे :
एक पुरानी कहावत है, “चोर चोरी से जाय पर हेराफेरी से न जाय”, सच ही तो हैं, दिल है के मानता नहीं, ये बेकरारी क्यों हो रही है, ये पहचानता नहीं।
ये सब (भ्रष्टाचार एक सामाजिक दुःसाहस है जो औरों को भी प्रेरित करता हैं, इस मनोवृत्ति को क्षीण किये बिना इसे विलुप्त नहीं किया जा सकता। #Corruption) केवल शब्द जाल नहीं हैं, बल्कि एक हकीकत है, जो प्रमाणित भी हो
सकती हैं, आज के सन्दर्भ में।
Encourage Honesty to Discourage Corruption
कुछ है जो आज भी वैसा ही है, (परदे के पीछे, कुछ परतों के नीचे) ।
आज भी भारत में काफी कुछ ऐसा है, जो न तो खुद बदलने को तैयार है, न
कुछ बदलने में सहयोग करना चाहते हैं, न करते है, आज भी डिजिटल इंडिया (#DigitalIndia) प्रत्यक्ष
में प्रतीत होता है, पर परोक्ष में आज भी ऐसे महानुभवों से प्रभावित क्षेत्रों में “ढाक
के तीन पात” वाली ही स्तिथि है।
अभी तक कुछ लोग नौकरी करने के बजाये नौकरी बचाने में ज्यादा मेहनत कर रहे
है।
कई बार तो ये समझ में नहीं आता की ये पद विभागीय जिम्मेदारी और कार्य पूरा करने के लिए सृजित किया गया, या उस उस कुत्सित परंपरा का निर्वाह करने और उसे किसी न किसी रूप में बचाए रखने के लिए।
कई बार तो ये समझ में नहीं आता की ये पद विभागीय जिम्मेदारी और कार्य पूरा करने के लिए सृजित किया गया, या उस उस कुत्सित परंपरा का निर्वाह करने और उसे किसी न किसी रूप में बचाए रखने के लिए।
पर ये सब “Digital India हम नहीं सुधरेंगे, नकुछ सुधरने देंगे” को ही सत्यार्थ करते है, पर न जाने क्यों, इतने गुनी होने के
बावजूद, प्रकाश में आने से आज भी डरते हैं।
समय के साथ बहुत कुछ बदला है और बदल रहा है, मोदीजी जैसे प्रबल राष्ट्रवादी मानवीय-मूल्यों को समर्पित नेता भी कुछ लोगों के दृष्टिकोणों में सम्मिलित दृष्टिदोष को जड़ों से नहीं उखाड़ सके क्योंकि इन बहुरूपियों की कला इनका साथ दे रही है।
Uttarakhand Transport Local Data Yet Not Updated in Parivahan Central Repository |
समय के साथ बहुत कुछ बदला है और बदल रहा है, मोदीजी जैसे प्रबल राष्ट्रवादी मानवीय-मूल्यों को समर्पित नेता भी कुछ लोगों के दृष्टिकोणों में सम्मिलित दृष्टिदोष को जड़ों से नहीं उखाड़ सके क्योंकि इन बहुरूपियों की कला इनका साथ दे रही है।
सेवा का अधिकार उत्तराखंड में फिसड्डी
उत्तराखंड सेवा के अधिकार मामले में फिसड्डी साबित हो रहा है। यहां आम आदमी तक सेवा का लाभ पहुंचने में पांच से छह महीने तक लग जाते हैं। जबकि इसकी अधिकतम अवधि महज 15 दिन है।
उत्तराखंड जैसे छोटे राज्य में आम आदमी के सेवा के अधिकार का जमकर उल्लंघन हो रहा है। आम आदमी तक सेवा का लाभ पहुंचने में पांच से छह महीने तक लग जाते हैं, जबकि इसकी अधिकतम अवधि महज 15 दिन है। वहीं, अन्य राज्यों की तुलना में उत्तराखंड के प्रदर्शन की बात करें तो वर्तमान में प्रदेश में कुल 217 सेवाओं का ही नोटिफिकेशन जारी हुआ है, जबकि अभी करीब 117 सेवाएं शेष हैं। ये बातें सेवा का अधिकार विषय पर आयोजित कार्यशाला में आयोग के मुख्य आयुक्त आलोक कुमार जैन ने कही।
शनिवार को सर्वे चौक स्थित आइआरडीटी सभागार में सेवा का अधिकार आयोग की ओर से आयोजित कार्यशाला में मुख्य अतिथि आयोग के मुख्य आयुक्त जैन ने कहा कि नागरिकों को सेवा का समय पर लाभ मिलना उनका मौलिक अधिकार है। लेकिन, आयोग में हर विभाग से जुड़ी सेवा के अधिकार के उल्लंघन की शिकायतें पहुंच रही हैं। अधिकांश शिकायतों में अधिकारी-कर्मचारियों की लापरवाही सामने आई है।
ऐसी भी अनेकों शिकायत हैं, जिनमें लोगों के आवेदन में गलती बताए बिना ही उन्हें निरस्त कर दिया गया। जबकि, कानून में स्पष्ट नियम है कि आवेदन को निरस्त करने पर स्पष्ट कारण बताना अनिवार्य है। आयोग के सचिव पंकज नैथानी ने कहा कि ऐसी भी शिकायतें हैं, जिनमें जनता को आयोग में न जाने के लिए अधिकारी धमकाते हैं। इस कार्यशैली को बदलना होगा। इसके बाद आम जनता से भी कई सुझाव मांगे गए, जिनमें लोगों ने नगर निगम, एमडीडीए, पेयजल निगम व अन्य विभागों के अधिकारियों की शिकायत की।
इस अवसर पर आयोग के आयुक्त डीएस गब्र्याल, अपर सचिव अरुणेंद्र सिंह चौहान, जिलाधिकारी एसए मुरूगेशन समेत कई अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।
तकनीकी खामियां भी देरी की वजह आयोग के सचिव ने कहा कि जनता तक सेवा का लाभ देरी से पहुंचने के लिए ऑनलाइन प्रणाली की जटिलताएं भी जिम्मेदार हैं। सॉफ्टवेयर व अन्य तकनीकी कारणों से प्रक्रिया में लंबा समय लगता है। तकनीकी सेल को समस्याएं मालूम नहीं होती। उन्होंने ऐसा प्लेटफॉर्म तैयार करने पर जोर दिया, जिसमें तकीनीकी एक्सपर्ट्स लोगों की समस्या का संज्ञान लें और जटिलताओं को दूर करें।जागरण समाचार
"The Commission is a body corporate having its office at Dehradun. The Chief Commissioner of the Commission is entrusted with the powers of general superintendence and direction in the conduct of affairs of the Commission. The Commission primarily has to ensure proper implementation of the URTS Act and make suggestions to the State Government for ensuring better delivery of services."